70 साल की महिला ने खून से लिखा राष्ट्रपति को पत्र
70 वर्षीय महिला की चीख: जब इंसाफ की कोई उम्मीद बाकी नहीं बची, तो उन्होंने एक पैथोलॉजी लैब से अपना खून निकलवाया और उसी खून से राष्ट्रपति को पत्र लिख भेजा। यह कोई नाटकीयता नहीं, बल्कि उस महिला की गहराई तक टूटी उम्मीदों की चीख है।
70 वर्षीय महिला की चीख: जब इंसाफ नहीं मिला, तो 70 साल की महिला ने खून से लिख डाला राष्ट्रपति को पत्र!
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो सिस्टम की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े करती है।
70 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला ओम बाई बघेल, छुरा ब्लॉक की निवासी हैं और टीबी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। लेकिन बीमारी से ज्यादा उन्हें उस अत्याचार ने तोड़ दिया, जो उनकी पुश्तैनी जमीन पर हुआ।
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???? हाईलाइट्स (Highlights) – इंसाफ की पुकार
???? गरियाबंद की 70 वर्षीय महिला ओम बाई ने राष्ट्रपति को अपने खून से लिखा पत्र।
???? महिला गंभीर बीमारी टीबी से पीड़ित, फिर भी वर्षों से अपनी पुश्तैनी जमीन के लिए लड़ाई लड़ रही हैं।
???? गांव के व्यक्ति पर आरोप – पूर्वजों की समाधि तोड़कर जबरन कब्जा किया।
???? प्रशासन, अधिकारियों और दफ्तरों में कई बार शिकायत की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी फरियाद।
???? न्याय की उम्मीद में महिला ने पैथोलॉजी लैब जाकर खून निकलवाया और उससे खत लिखा।
???? ओम बाई बोलीं – ‘अब अगर राष्ट्रपति नहीं सुनेंगे, तो कहां जाएं?’
???? यह सिर्फ एक महिला की लड़ाई नहीं, ये सिस्टम की चुप्पी के खिलाफ एक चीख है।

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✍️ जब सिस्टम ने कान बंद कर लिए, तो 70 साल की महिला ने खून से लिखा राष्ट्रपति को खत!
पुरखों की ज़मीन छिनी, मठ तोड़ा गया, कोई सुनवाई नहीं हुई।
???? अब इंसाफ की उम्मीद सिर्फ एक चिट्ठी में…
???? पूरी खबर पढ़ें – [https://chhattisgarhnewstv24.in/70-%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a5%80%e0%a4%af-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a5%80%e0%a4%96-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f/4744/]
महिला का कहना है कि उस जमीन पर उनके पूर्वजों की परंपरागत समाधि (मठ) थी, जिसे गांव के ही संतोष सारडा नामक व्यक्ति ने जबरन तोड़कर कब्जा कर लिया। इस दौरान न सिर्फ मठ को ढहाया गया, बल्कि महिलाओं के साथ अपमानजनक व्यवहार भी किया गया।
ओम बाई ने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई, दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन हर जगह से मौन और निराशा ही हाथ लगी।
आख़िरकार, जब इंसाफ की कोई उम्मीद बाकी नहीं बची, तो उन्होंने एक पैथोलॉजी लैब से अपना खून निकलवाया और उसी खून से राष्ट्रपति को पत्र लिख भेजा। यह कोई नाटकीयता नहीं, बल्कि उस महिला की गहराई तक टूटी उम्मीदों की चीख है।
⚖️ कोरबा से दूसरी घटना: शादी का झांसा देकर किया दुष्कर्म, आरोपी को 10 साल की सज़ा
छत्तीसगढ़ के कोरबा ज़िले से भी महिलाओं के खिलाफ एक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है।
सिविल लाइन थाना क्षेत्र के पंडरीपानी इलाके में एक युवक ने नाबालिग लड़की को शादी का झांसा देकर तीन साल तक शारीरिक शोषण किया और फिर विवाह से इंकार कर दिया।
मामला अदालत पहुंचा और सुनवाई के बाद एफटीएससी (पॉक्सो) न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश ने आरोपी को 10 वर्ष का सश्रम कारावास सुनाया।
इन दोनों घटनाओं ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है –
क्या हमारी महिलाएं आज भी इंसाफ के लिए खून बहाने को मजबूर हैं?
क्या सिस्टम अब भी मौन दर्शक बना रहेगा?
????️ समय आ गया है कि इन आवाज़ों को सुना जाए, और न्याय सिर्फ कागज़ों में नहीं, ज़मीन पर भी उतरे।
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